बालोतरा – कपड़ा उद्योग को बालोतरा , पाली , जोधपुर , भीलवाड़ा की जीवनरेखा कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। लेकिन, प्रदूषण के दंश ने पाली के कपड़ा उद्योग की कमर ही तोड़ दी है। एनजीटी के आदेश के इंतजार में करीब छह माह से अधिक समय से करोड़ों के टर्न ओवर वाला यह कपड़ा उद्योग बंद है। इससे उद्यमी ही नहीं, बल्कि श्रमिक तबका भी आहत है, जो अब पाली से किनारा कर दूसरे शहरों की ओर रुख कर चुका है।
इतना ही नहीं, बड़े औद्योगिक प्रतिष्ठानों के मालिकों ने तो अपना करोड़ों का निवेश शहर से बाहर कर दिया है। कई श्रमिक भी शहर से पलायन कर गए हैं।20 से अधिक फैक्ट्रियों ने गुजरात के अहमदाबाद, डिसा व सूरत में तलाशा नया ठिकाना
50 से ज्यादा फैक्ट्रियां जोधपुर में संचालित हो रही है
– कुछ इकाइयां जयपुर में भी लगी हैअधिकांश औद्योगिक इकाई संचालकों ने एक साल से लेकर अधिकतम तीन साल तक के लिए फैक्ट्रियां किराए पर ली है। इसमें मशीनों का स्थानांतरण किया है और श्रमिकों का नियोजन भी किया गया है।
एक फैक्ट्री के निवेश में 2 करोड़ का भार
कपड़ा उद्योग को जीवित रखने के लिए बड़े औद्योगिक प्रतिष्ठानों के मालिकों ने बड़ी फैक्ट्रियां शहर से बाहर स्थापित कर दी है। एक इकाई को स्थापित करने में करीब डेढ़ से दो करोड़ का खर्च आएगा। इन बड़ी इकाई संचालकों ने पाली की इकाइयों को आर.ओ प्लांट पर अपग्रेड करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।