जयपुर, 10 जुलाई। मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के तहत प्रतापगढ़ जिले में सोमवार को वन महोत्सव के दौरान पौधरोपण कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। बांसवाड़ा रोड स्थित टीमरवा में जिला स्तरीय वन महोत्सव आयोजित हुआ। जिले की प्रभारी मंत्री, उच्च, तकनीकी एवं संस्कृत शिक्षा मंत्री श्रीमती किरण माहेश्वरी ने रूद्राक्ष का पौधा लगाकर महोत्सव का शुभारंभ किया।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान से पूरे देश में राजस्थान की एक नई पहचान कायम हुई है और हमने इस दिशा में एक मिसाल पेश की है। दूसरे प्रदेशों के लोग एमजेएसए में हुए काम को देखने के लिए आ रहे हैं। पानी हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हमें पानी के दोहन को अपने बैंक खाते से समझना चाहिए। जब हम पानी का संरक्षण नहीं करेंगे, पानी नहीं बचाएंगे तो फिर हमें अपने उपयोग के लिए पानी उपलब्ध नहीं होगा। उन्होंने कहा कि पानी का वनों से बहुत गहरा नाता है। इसलिए अधिक से अधिक वृक्ष लगाएं और जिले को हरा-भरा बनाएं। उन्होंने कहा कि बहती हुई नदी, हरे-भरे वृक्ष और खेतों में लहलहाती हुई फसलें देखकर मन प्रसन्न हो जाता है। प्रकृति हमें प्रसन्नता देती है और तनाव से मुक्त करती है। राज्य सरकार ने वनों के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण काम किया है। हाल ही में 1100 वन रक्षकों की भर्ती हुई है, जिसमें 33 प्रतिशत महिलाएं भी भर्ती हुई हैं। प्रधानमंत्री की उज्जवला योजना भी हमारे वनों को संरक्षित करने वाली योजना है।
प्रभारी मंत्री ने इस दौरान उपस्थित लोगों से कहा कि वे अपनी बेटियों के जन्मदिन पर कम से कम एक पौधा लगाने की परम्परा विकसित करें। उन्होंने जिला कलक्टर एवं डीएफओ से कहा कि इस तरह के पौधरोपण के लिए एक कन्या उपवन विकसित किया जा सकता है। इससे वृक्षारोपण और हरियाली तो होगी ही, बेटी के प्रति हमारे सम्मान व स्नेह को लेकर भी एक अच्छा संदेश जाएगा। उन्होंने समारोह में मौजूद बालक-बालिकाओं से कहा कि पौधरोपण कर अपना जन्मदिन मनाएं। अपने माता-पिता को अपने जन्मदिन पर पौधरोपण के लिए कहें। उन्होंने कहा कि पंचायतें अपनी चारागाह भूमि पर फलदार पौधों के बगीचे विकसित कर अपनी आय का स्रोत बढा सकती हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों ने जो पौधे लगाए हैं, उनसे बच्चों का निस्संदेह एक जुड़ाव हो गया है। उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्होंने अपने बचपन में स्कूल में पौधे लगाए थे, आज भी जब स्कूल के पास से गुजरते हुए उन पौधों को देखती हैं तो एक आत्मीयता का भाव जन्म लेता है।