राजस्थान – गणगौर एक ऐसा पर्व है जिसे, हर स्त्री के द्वारा मनाया जाता है . इसमें कुवारी कन्या से लेकर, विवाहित स्त्री दोनों ही, पूरी विधी-विधान से गणगौर जिसमे, भगवान शिव व माता पार्वती का पूजन करती है . इस पूजन का महत्व कुवारी कन्या के लिये , अच्छे वर की कामना को लेकर रहता है जबकि,विवाहित स्त्री अपने पति की दीर्घायु के लिये होता है . जिसमे कुवारी कन्या पूरी तरह से तैयार होकर और, विवाहित स्त्री सोलह श्रंगार करके पुरे, सोलह दिन विधी-विधान से पूजन करती है .
पूजन सामग्री ( Gangaur festival pooja Samagri)
जिस तरह, इस पूजन का बहुत महत्व है उसी तरह, पूजा सामग्री का भी पूर्ण होना आवश्यक है .
- लकड़ी की चौकी/बाजोट/पाटा
- ताम्बे का कलश
- काली मिट्टी/होली की राख़
- दो मिट्टी के कुंडे/गमले
- मिट्टी का दीपक
- कुमकुम, चावल, हल्दी, मेहन्दी, गुलाल, अबीर, काजल
- घी
- फूल,दुब,आम के पत्ते
- पानी से भरा कलश
- पान के पत्ते
- नारियल
- सुपारी
- गणगौर के कपडे
- गेहू
- बॉस की टोकनी
- चुनरी का कपड़ा
उद्यापन की सामग्री ( Gangaur festival Udyapan Samagri)-
उपरोक्त सभी सामग्री, उद्यापन मे भी लगती है परन्तु, उसके अलावा भी कुछ सामग्री है जोकि, आखरी दिन उद्यापन मे आवश्यक होती है .
- सीरा (हलवा)
- पूड़ी
- गेहू
- आटे के गुने (फल)
- साड़ी
- सुहाग या सोलह श्रंगार का समान आदि

