विश्व जनसंख्या दिवस राज्यस्तरीय पुरस्कार समारोह आयोजित
जनसंख्या स्थायित्व में श्रेष्ठ परिणाम देने वाले हुए राज्यस्तर पुरस्कृत
जयपुर, 11 जुलाई। प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एवं जनसंख्या स्थायित्व के क्षेत्र में श्रेष्ठ परिणाम देने वालों में श्रेष्ठ चयनित 6 जिलों, 6 पंचायत समितियों व 6 ग्राम पंचायतों सहित 3 राजकीय तथा 3 निजी क्षेत्र के चिकित्सालयों को पुरस्कृत किया गया है। साथ ही 2 गैर-सरकारी संगठनों एवं 3 चिकित्सा संस्थानों के स्वास्थ्यकार्मिकों को श्रेष्ठ व्यक्तिगत उपलब्धि पर राज्यस्तरीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री कालीचरण सराफ, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री श्री बंशीधर खंडेला, जयपुर जिला प्रमुख श्री मूलचंद मीणा ने विश्व जनसंख्या दिवस के उपलक्ष्य में मंगलवार को प्रातः इन्दिरा गांधी पंचायतीराज संस्थान के सभाकक्ष में आयोजित राज्यस्तरीय पुरस्कार समारोह में यह पुरस्कार प्रदान किये।
श्री सराफ ने मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा कि बढ़ती जनसंख्या हमारे लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के समक्ष बड़ी चुनौती है एवं उपलब्ध संसाधनों का समुचित उपयोग करने के लिए बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण जरूरी है। उन्हाेंने बताया कि हमारे प्रदेश में जनसंख्या वृद्धि की दर वर्ष 1991 से 2001 के दशक में 28.41 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी। वर्ष 2011 के दशक में राजस्थान में जनसंख्या की दशकीय वृद्धि दर में पिछले दशक से लगभग 7 फीसदी कमी आयी एवं वर्ष 2001 से 2011 के दौरान जनसंख्या वृद्धि की दर कम होकर 21.44 प्रतिशत रह गयी है। हम इसमें और कमी लाने के प्रयास बढ़ाने होंगे।
अब हमें एकजुट होकर इस दिशा में प्रयास बढ़ाने होंगे। उन्होंने आमजन से ‘‘नयी लहर, नया विश्वास-सम्पूर्ण जिम्मेदारी से परिवार विकास’’ के की अवधारणा के अनुरूप एकजुट होकर सीमित परिवार रखने एवं बच्चों में कम से कम दो वर्ष का अंतर रखने की भावना विकसित करने का आव्हान किया।
चिकित्सा मंत्री ने बताया कि सेम्पल रजिस्ट्रेशन सर्वे 2012 के अनुसार राजस्थान की कुल प्रजनन 2.9 थी, जो अब घटकर एनएफएचएस-4 सर्वे के मुताबिक 2.4 हो गयी है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के 14 जिलों में कुल प्रजनन दर में सुधार लाने के उेश्य से ‘मिशन परिवार विकास‘ लागू कर नये योग्य दम्पत्तियों के लिए नये गर्भनिरोधक साधन ‘‘छाया गोली एवं अंतरा इंजेक्शन’’ निशुल्क उपलब्ध करवाये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि बच्चों में अंतर रखने में पीपीआईयूसीडी भी लोकप्रिय साधन बन गया है एवं वर्ष 2015-16 में जहां 1 लाख 28 हजार महिलाओं ने इसका लाभ लिया वहीं 2016-17 में 2 लाख 10 हजार से अधिक महिलाओं ने सुरक्षित पीपीआईयूसीडी को अपनाया है।

