जसोल (बाड़मेर ) – पत्नि का सबसे बड़ा धर्म पतिव्रता है मन ,वचन ,कर्म से पति की सेवा करनी चाहिए । जिसने जीवन को सार्थकता के साथ जिया है वो ही उत्तम है , गृहस्थ जीवन का पालन करना बड़ा ही कठिन है , नारी पराधीन होती हैं , शिव जगतपिता व पार्वती जगतमाता हैं , मनुष्य के जीवन मे आदर का भाव होना चाहिये । कथा में प्रभु राम के जन्मोत्सव के प्रसंग को बताया । जिस परिवार में नारी का सम्मान होता है उस घर में वैभवता की कोई कमी नही रहती हैं , यदि जीवन में किसी को रोना है तो भगवान की भक्ति में रोये वर्तमान में सांसारिक मोह वासनाओकी पूर्ति को लेकर रोया करते है , स्वभाव की नही छोड़ना चहिये ।
राम कथा रूपी गंगा में डुबकी लगाने से जीवन सुधर जाता हैं । राम को हदय में नही धारा वह मनुष्य पशु के समान हैं चाहे लाख कोशिश करले हमें मानव जीवन की सार्थकता का ज्ञान होना चाहिए जो हदय में भगवत् प्रेम होना चाहिए यदि नही हैं तो वह मनुष्य जीता हुआ भी मरे के समान हैं यह भक्ति के स्वरूप को जान किया जा सकता हैं | शिव व माता पार्वती के वार्तालाप में शिव नें कहा आपके जैसा बडा कोई उपकारी नही हैं , ज्ञान वैराग्य भक्ति के स्वरूप को बताया ,वाणी में मिठास होना चाहिए | तपस्या से बढ कर हैं सत्संग , संसार में आने का असल ज्ञान जब होगा हमें जीवन मुल्यो के बार में पता होगा | विषय की विलासता का ज्ञान मनुष्य को होना चाहिए जो भीतर तक झक झोरने से मिल सकता हैं | साधु राम की प्राप्ति की बात करता हैं , सांसारिक कामना प्राप्ति हेतु बात करता हैं | जीवन में सहजता का भाव रखना चाहिए कर्म ही आगें ले जाते हैं |
श्री राणी भटीयाणी मंदिर संस्थान की और से मंदिर प्रांगण में आयोजित हो रही राम कथा में संत मुरलीधर जी महाराज नें कही । मानस की आरती का लाभ देवेंद्र सोलंकी , देवाराम माली , मुल्तानमल सोलंकी ने लिया । कथा मे मांगूसिंह ,पेपसिंह , पदमसिंह कंवरली , शांतिलाल सुथार , सहित भक्त गण व श्रोता उपस्थित थे ।


